इक दिशा मिली है आज हमें
चलना चाहें हम जिस ओर
आ जा साथी हाथ पकड़ ले
फिर इश्क़ करें पुरज़ोर
जिस दिशा में तू ले जाना चाहे
मैं जाऊंगा तेरे साथ
सीने से लग जाए तू गर
ना लब पर रखना हाथ
मिल जाने दे लबों को अपने
मेरे लबों के संग
जानें हम इक दूजे को जब
मिले अंग से अंग
दुनिया की ना सोच तू ज्यादा
दुनिया है बेकार
जो पूछेगी तू लोगों से तो
लोग करें इनकार
क्या कहेंगे लोग मगर
जब पता उन्हें चल जाए
ना मैं बोलूं ना तू बोले
ना कभी पता चल पाए
सुन तू धड़कन दिल की
मन की कर तू जब भी चाहें
भेजे की मत सुनना जब भी
दिल से निकले आहें
कहे प्रवीण हर युवक इश्क़ में
वो सब कुछ कर डालें
मन में कुछ भी रखना ना है
शंका क्यों हम पालें