Saturday, December 11, 2021

आ तुझे आज जीना सिखा दूं


आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

दिलबर से जा तू 
सीने से लगकर 
आंखों में अपने
मोहब्बत सुलग कर 
भेजे की ना सुन तू 
दिल से सुलह कर 
जो दिल में आए वो करना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

दिल की जंजीरों को 
झिटक कर तू तोड़े 
लोगों की बातों को 
कस कर झिंझोरे 
तोड़े तू उन सारी
भी बेरियों को 
उनकी इजाजत को लांघना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

ना सोच अपने बेगाने हुए हैं 
बेगाने थे पहले, नकाबों के पीछे 
दरियादिली से वो सहमे हुए हैं 
शैतान हैं सब, तेरे खूं से सींचे 
पहचान सबको ना बर्बाद कर तू 
जीवन को अपने, डोरों में खींचे 
खुद को जला कर शहादत की आदत मिटा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

ना रोक दिल को धड़कने दे धक धक 
जा मिल झपट कर जिन पर तेरा हक 
जो तेरी राहों में आंखें बिछाए 
जीवन में उनके ना तेरे सिवाय 
खनका कर चूड़ी, लबों को सटा कर
सिमट जा तू बाहों में उनके खता कर 
आ तुझको मोहब्बत मैं करना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं