जर्रे जर्रे में तेरी महक और साँसों की खुशबू हवाओं में
ऐ सनम हम तुम्हें कैसे बताएं क्या मिला है फ़िज़ाओं में
तेरे सवाल हमारे मिलने पर उँगलियाँ जब उठाते हैं
क्या बताऊँ जहन में तब खयालात बुरे सताते हैं
क्यों वही तड़प तुझमें नहीं जो डसती है मेरे सीने में
क्या मोहब्बत सिर्फ हमनें की यूं इश्क़ के महीने में ?
इश्क़ उम्र का मोहताज नहीं होता है जनाब
इश्क़ में धड़कनें सुनिए, ना रखिये उसका हिसाब
इश्क़ वो बला है जो बिन बुलाये आ जाए
दिल टूटने के बाद भी जो रुके और सज़ा पाए
मिट गए सब इश्क़ करने वाले इतिहास की किताबों में
पर इश्क़ ना मिटा था उनका और ना मिटेगा इन हवाओं में
कभी कभी अपने मोहब्बत से मिल कर तो देखिये आप
नज़रों की चमक और दिल की धड़कनें दोनों हीं बढ़ती हैं जनाब
प्रवीण हों आप इश्क़ में या फिर कोई नवीन हो
प्रेरणा इस इश्क़ की हर उम्र में हसीन हो
जो दिल लगाया आपने, दिल की लगी समझिये
जो दिल्लगी की है अगर, टूटे दिल में ना उलझिए