Monday, December 20, 2021

नफरत


रात अकेली आई थी 
पर हम तनहा सो गए 
पूछा ना मैंने उनको कभी 
हमसे ख़ताएँ हो गयी 
सुबह जो उनसे बातें की 
बातों में हम उनके हो गए 
सिलसिले यूं बनते गए 
इक दूजे में हम खो गए 
मालूम था मेरे दिल को नहीं 
हमसे ख़फ़ा कब हो गए 
पूछा बहोत मैंने मिन्नत भी की 
पर वो ना माने और खो गए 
दिन भर मेरा दिल जलता रहा 
और हम पराये हो गए 
समझाया मैंने उनको बहोत 
खुश थे हॅसते या रोते हुए 
बातों पर मेरे यकीं था नहीं 
ग़मगीन हर शाम वो हुए 
रूठे वो हमसे पहले भी थे 
जुदा आज लेकिन हो गए 
कोशिश मैंने बहोत की मगर 
हम फिर से तनहा हो गए 
ए काश मुझपे वो करते यकीं 
गुस्से से उनके हम रो गए 
चाही थी मैंने उनसे दोस्ती 
पर नफरत में उनके हम सो गए 

Sunday, December 19, 2021

छोटे छोटे ख्वाब


छोटे छोटे ख्वाब हैं मेरे 
छोटा है आशमां 
छोटी सी है दुनिया मेरी 
छोटे हैं अरमां 

बड़ी बड़ी सी आशाएं हैं 
बड़ा है दिल पर बोझ 
बड़ी बड़ी जिम्मेदारी है 
बड़ी हमारी सोच 

छोटी छोटी ख्वाहिश मेरी 
छोटी अभिलाषाएं 
छोटे छोटे कदम बढ़ाते 
पार करें बाधाएँ 

बड़ी बड़ी बाधाएँ होंगी 
बड़े से होंगे लोग 
बड़े लगाएं अड़ंगे पथ में 
करें वो तेरा भोग 

छोटे समझ कर उनको तुम ना 
ठेस लगे तो गिरना 
तुम्हें गिराएं बार बार बन 
चट्टान ना हिलना 

छोटी अपनी गर्दन रखना 
छोटी अपनी चाहत 
बड़े बड़ों का मर्दन करती  
अहंकार की आहट 

सर ना कभी भी झुकने देना 
और आँखें रखना नीचे 
बड़ों को अपने इज़्ज़त देना 
देख के छोटे सीखें 

छोटी छोटी बातों को तुम 
अहमियत ना देना 
भूल अगर हो जाए तुमसे 
माफ़ करो ये कहना 

कल को तुम गर बड़े हो जाओ 
और दोस्त रह गए छोटे 
दिल को अपने बड़ा हीं रखना 
दोस्त ना होते खोटे 

दोस्त अगर हो जाएं बड़े पर 
रह जाओ तुम छोटे 
माफ़ उन्हें कर देना तुम गर 
वो हँसते तुम जब रोते 

बातें कोई चुभने वाली 
करता कोई तेरा यार 
हँस कर भुला दो तुम तुरंत 
ये होता सदव्यवहार 

दूजों पर ना उठे ये ऊँगली 
कर लिया था प्रवीण ने प्रण 
लिया प्रेरणा यारों पे कर 
तन मन धन अर्पण 

Saturday, December 18, 2021

पलकें ना झुकाएं मोहतरमा


पलकें ना झुकाएं मोहतरमा 
कहीं रात अँधेरी हो जाए ना 

जुल्फों को ना अपने सुलझाओ 
कहीं बात अधूरी रह जाए ना 

यूं बातों पर मेरे हसना मत 
कहीं और मुलाकात दिल चाहे ना 

हाथों से ना जुल्फें छूना तुम 
कहीं  दीवानें सब बन जाए ना 

गालों की लाली छुपा लो तुम 
कहीं चाँद अभी शरमा जाए ना 

होठों को ना अपने हिलाएं आप 
कहीं दिल की धड़कन रुक जाए ना 

जाने की बात ना छेड़ा करो 
कहीं दुनिया मेरी ढह जाए ना 

पलकें ना झुकाएं मोहतरमा 
कहीं इज़हार - ए - इश्क़ हम कर जाए ना 

Friday, December 17, 2021

दो पल की ज़िन्दगी


दिल गीला गीला जरा सा
दिन पीला पीला उजड़ा सा
रातें ठंढी ठंढी लगे क्यों
होंठ सूखे सूखे हुए क्यों

आँखें नम हो क्यों है जाती
बातें कम हीं क्यों हो पाती
आहें ठंढी ठंढी निकलती
बाहों में वो अब न पिघलती

लम्हे रुक रुक से गए हैं
तनहा हम हम से हुए हैं
दूर तुम हम से हुए हो
भूल तुम हमको गए हो

बातें क्यों होती नहीं हैं
साथ होते भी मन कहीं हैं
चुप चुप रहने लगे हैं
पल पल कहने लगे हैं

रूठे रूठे रहने लगे हो
झूठे झूठे कहने लगे हो
नज़रें चुराने लगे हैं
दर्द को छुपाने लगे हैं

पलकें झुकती नहीं अब
हम पर रूकती नहीं अब
जाने क्या हो ये गया है
चैन मेरा छिन सा गया है

हम तुम खिलते हैं हमदम
तन मन मिलने दो हरदम
मिलन में हीं दिन बिताएं
कर लें सब हम ख़ताएँ

काली सोच


दिल मेरा काला, खून भी काली 
सोच हैं मन के काले 
रहा अकेला दिल बेचारा, खुद पर मारे ताले 

विचार काले, दृष्टि काली 
कथनी भी है काली 
जीवन भर अच्छाई की पर, कालिख ना धुल पायी

तन से काला, मन से काला 
दोस्त ये तेरे जानें 
हिम्मत कर जो पास फटकना, सुनना सारे तानें 

किशन भी तो काला ही था ना 
थी काली करतूतें 
ऐसी सोच ये रखता है सौ परते हरदम जूते 

संग संगिनी, रंग रंगीनी 
छूटी सारी खुशियां 
खुशी ये काला, मन फिर ढूंढे, दूजों के तन मन में 

सीख सीख ले, डोर थाम ले 
अपनी सोच को रख तू 
काबू में फिर काला मन ये, लगे निराला जग में 

कर प्रण, तर्पण 
भ्रमित चाहतें, आंखों को कर बंद 
रहा अकेला, रह जा अकेला, रहेगा तू बुलंद 

Thursday, December 16, 2021

रूही का तमस (Anger from someone who touches the heart)


मिले हम जब उनसे 
दिल में थी चिंगारी 
लिपट गए हमसे 
जो हमको हैं प्यारी 

आँखों में थी उनके 
तमन्नाएं सारी 
सीने की धड़कन भी 
थी हो रही भारी 

वो मेरे अपने हैं 
समझाया था दिल को 
यकीं से उनके पास 
बुलाया था मुझको 

अलग ना होना था 
दो पल को और मुझे 
यकीं तो हो जाए 
ख़याल थे उलझे 

जकड़ के रखा था 
मैंने तो बस यूं हीं 
ना जाने क्यूं लेकिन 
तमस में थीं रूही 

शायद वो गलती थी 
धड़कनों की मेरी 
पास था रहना पर 
क्या इज़ाज़त थी तेरी?

नज़र जो मिलतीं हैं 
तेरी निगाहों से 
अलग वो चाहें ना 
होना पनाहों से 

समझ भी जाने जां 
ना गुस्सा करना तू 
पास जब होती है 
दिल को मिले है सुकूं  

Wednesday, December 15, 2021

दोस्ती


दोस्ती होती दवा है 
और होती वो दुआ 
दिल के जख्मों को ये भर दे 
या उन्हें कर दे हरा 

तेरे दिल में शक हो कोई 
या हो कोई भी सवाल 
बेधड़क ही पूछना है 
दोस्ती की अच्छी मिसाल 

मन में गहरे घाव हों तो 
दोस्त को खुल कर बता 
बिन बताये आजमाना 
दोस्ती में है खता 

धारणाएं पालने से 
दोस्त ना बनते घने 
दो घड़ी जो मिल ले उनसे 
अपनों से बढ़ के बनें 

दिल अगर लग जाए उनसे 
दिल खुलासा कीजिये 
दिल संभाले दोस्त गर तो  
फिर भरोसा कीजिये 

मन बड़ा हीं मनचला है 
दैव हो कभी दुष्ट भी 
दैव भावों को सम्भालो 
दोस्ती में वो सही 

दानवी भावों से जो गर 
वचन बोलें दोस्त को 
चुभती है वो बात सारी 
दिल पे गहरी चोट हो 

वक़्त दें गर बात बिगड़े 
वक़्त हो सकती दवा 
ग़लतफ़हमी दूर कर दे 
या दोस्ती कर दे हवा 

सामना कभी दोस्त से हो 
गले से उनको लगा 
बात दिल की बोल दें सब 
दोस्ती हो मरहबा

Tuesday, December 14, 2021

राधा संग काहे जिद करे कान्हा


कृष्ण कन्हैया मोरा पीछा करो है 
बूझे नाहीं मोहे काम बड़ो है 
गैय्यन के पाछे बंशी बजाये 
आवाज़ उसकी मोरे मन को लुभाये

कैसे कैसे कान्हा बहाने बनाये 
मिलनो को मोहे वो उकसाये 
आँगन मोहे मोरे भानु चढ़ो है 
किसन को ज़िद हर रोज बढ़ो है 

राधा को नाहीं चाहत कान्हा 
यो मोरा मन मो से बात कहो है 
घर आँगन को काम करूँ या 
किसन को जाऊं यो दुविधा भयो है 

मन मोरा कपटी बोले जा तू राधा 
कान्हा तोहे बिन हो जावे आधा 
राधा सखि बन जबहुँ वो खेले 
कृष्ण कन्हैया बांधे रास के मेले 

हाय रे कान्हा मोरा हृदय नाहीं मानत 
जा रणछोर तू काहे मन भावत 
मोहे करन दे मोरे काम वो सारे 
देखन नाहीं आऊं तोहे यशोदा दुलारे 

किसन कन्हाई हर युग में होवे 
राधा संग वो प्रेम में शोभे 
मिळत कबहुँ नाहीं प्रेम प्रसंगा 
कान्हो को हृदय में राधा गंगा 

Monday, December 13, 2021

भुला दे मुझको


कभी हो हल्ला कभी झल्लाकर 
कभी प्यार भरी मीठी बातें 
कभी मन ही मन फिर मुस्काकर 
जब होती छुप छुप मुलाकातें 

कभी डर कर या कभी घबराकर 
मिलने की चाहत आहत कर 
बेमन से कभी मना करके 
दिल की गुन धुन सुना पड़ते 

कहते बातें तुम किया करो 
पर वक्त जरा कम किया करो 
मिलने के बहुत बहाने ना 
तुम सोचो ना हीं बुना करो 

हम मिलेंगे जब मिलना होगा 
जो लिखा है तकदीरों में 
ना बदले वो तस्वीरों में 
फिर जुदा तुम्हें करना होगा 

जीवन की सारी बाधाएं 
ना बन जाएं कहीं गाथाएं 
तू रहने अकेला दे मुझको 
तेरी ज़िद से ना बदलूं खुदको 

ना वक्त तू जाया कर अपना 
तुझसे जुड़ा ना कोई सपना 
देखेंगे कब तक मिलते हैं 
तेरी बातों से हम खिलते हैं 

अब विदा मैं तुझको करती हूं 
कहने से कुछ भी डरती हूं 
मैं भूल चुकी हूं अब तुझको 
तू भी बढ़ आगे भुला मुझको 

इश्क़ नहीं मिटता


जर्रे जर्रे में तेरी महक और साँसों की खुशबू हवाओं में 
ऐ सनम हम तुम्हें कैसे बताएं क्या मिला है फ़िज़ाओं में 

तेरे सवाल हमारे मिलने पर उँगलियाँ जब उठाते हैं 
क्या बताऊँ जहन में तब खयालात बुरे सताते हैं 

क्यों वही तड़प तुझमें नहीं जो डसती है मेरे सीने में 
क्या मोहब्बत सिर्फ हमनें की यूं इश्क़ के महीने में ?

इश्क़ उम्र का मोहताज नहीं होता है जनाब 
इश्क़ में धड़कनें सुनिए, ना रखिये उसका हिसाब 

इश्क़ वो बला है जो बिन बुलाये आ जाए 
दिल टूटने के बाद भी जो रुके और सज़ा पाए 

मिट गए सब इश्क़ करने वाले इतिहास की किताबों में 
पर इश्क़ ना मिटा था उनका और ना मिटेगा इन हवाओं में 

कभी कभी अपने मोहब्बत से मिल कर तो देखिये आप
नज़रों की चमक और दिल की धड़कनें दोनों हीं बढ़ती हैं जनाब 

प्रवीण हों आप इश्क़ में या फिर कोई नवीन हो
प्रेरणा इस इश्क़ की हर उम्र में हसीन हो

जो दिल लगाया आपने, दिल की लगी समझिये
जो दिल्लगी की है अगर, टूटे दिल में ना उलझिए 

Sunday, December 12, 2021

इश्क़ की दिशा


इक दिशा मिली है आज हमें 
चलना चाहें हम जिस ओर 
आ जा साथी हाथ पकड़ ले 
फिर इश्क़ करें पुरज़ोर 

जिस दिशा में तू ले जाना चाहे 
मैं जाऊंगा तेरे साथ 
सीने से लग जाए तू गर 
ना लब पर रखना हाथ 

मिल जाने दे लबों को अपने 
मेरे लबों के संग 
जानें हम इक दूजे को जब 
मिले अंग से अंग 

दुनिया की ना सोच तू ज्यादा 
दुनिया है बेकार 
जो पूछेगी तू लोगों से तो 
लोग करें इनकार 

क्या कहेंगे लोग मगर 
जब पता उन्हें चल जाए 
ना मैं बोलूं ना तू बोले 
ना कभी पता चल पाए 

सुन तू धड़कन दिल की 
मन की कर तू जब भी चाहें 
भेजे की मत सुनना जब भी 
दिल से निकले आहें 

कहे प्रवीण हर युवक इश्क़ में 
वो सब कुछ कर डालें 
मन में कुछ भी रखना ना है 
शंका क्यों हम पालें 

जी लें आज


तेरे जाने से मौसम बदलते, रीति बदलती है 
तेरे आने से बदले हवाएं, गीत बदलते हैं 

हँसके जो देखे, मेरी तरफ तो, दिल भी धड़कता है 
बोले नहीं जब घंटों तक, फिर जान निकलता है 

रह जा मेरी बन कर यूं हीं, दिल को ना तोड़ो 
लग जा मेरे सीने से तू, हाथ को मत छोड़ो 

संग संग हम तुम वक़्त बिताएं, ऐसी अभिलाषा 
कुछ ना कहूंगा, जान हो मेरी, ना करता जिज्ञासा 

पल दो पल जो मिल जाय जब भी, दूर हो जाते गम
कल बीते से कल आए जो आज जी लेते हम 

Saturday, December 11, 2021

परवाने


क्या छुपी बात है जुबां पर ये बता दीजै
दिल कह रहा क्या जाएं कहां वो पता दीजै 

हम तो आशिक हैं अश्कों से वफा कीजै 
कभी दीदार करने वालों को ना दफा कीजै 

उफ़ ये गुस्ताखियां हमारी हम से सभलती हीं नहीं 
आशिक हैं आपके हमें माफीनामा दे दें कभी कभार कहीं 

हुस्न तो होती हैं बाजार में भी बहोत ए शहजादी 
पर आपके हुस्न पर फिदा है इस दिल की आजादी 

कैद कर लें हमें अभी इस वक्त सजा दीजै 
आपके इश्क में दीवाने हुए हम हमें विदा कीजै 

शम्मा जलती है परवाने को जलाने को हीं 
हम भी परवाने हैं हमें जलने की इजाजत दीजै 

कसम खा ना रोएगा मेरी मोहब्बत को तोल कर


मोहब्बत ऐसी है मेरी जो कागज में ना समाय
अंदाज-ए-मोहब्बत जो लफ्जों में ना कहा जाय 

मेहबूब कहना माने नहीं शायरी हर रोज सुनाए 
कैसे समझाऊं मैं कसमकस, जिया जले पर कहा नही जाय 

एतबार उन पर है इकरार कर नहीं सकते 
मोहब्बत उनसे है इनकार कर नहीं सकते 
चाहने वाले भरे हर तरफ, तकरार कर नहीं सकते 
या खुदा करूं तो क्या करूं बेवफाई कर नहीं सकते 

ले सुन ले ओ सनम मेरी बातें मेरी जुबां से करती हूं बयां 
तड़पती हूं याद आती हैं मुलाकातें जब जलती है शम्मा 
शमां कोई भी हो बस यूं समझ ले अब तू इक बार कहूंगी 
नहीं आ सकती मिलने तुझसे हर बार ये इकरार करूंगी 

मुझे फिक्र है तेरी क्यूं सोचता इतना मेरी तारीफों में 
कभी जिक्र मेरी आंखों का या मुलाकात भरी तारीखों में 
गर मैं चली जाऊं तेरी जिंदगी से मुकद्दर में तेरी नहीं बोल कर
पहले खुश था मेरे आने से, जाने से टूटेगा दिल तेरा खोल कर
बता दे मुझको ए दिल के आशिक
कसम खा ना रोएगा मेरी मोहब्बत को तोल कर

आ तुझे आज जीना सिखा दूं


आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

दिलबर से जा तू 
सीने से लगकर 
आंखों में अपने
मोहब्बत सुलग कर 
भेजे की ना सुन तू 
दिल से सुलह कर 
जो दिल में आए वो करना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

दिल की जंजीरों को 
झिटक कर तू तोड़े 
लोगों की बातों को 
कस कर झिंझोरे 
तोड़े तू उन सारी
भी बेरियों को 
उनकी इजाजत को लांघना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

ना सोच अपने बेगाने हुए हैं 
बेगाने थे पहले, नकाबों के पीछे 
दरियादिली से वो सहमे हुए हैं 
शैतान हैं सब, तेरे खूं से सींचे 
पहचान सबको ना बर्बाद कर तू 
जीवन को अपने, डोरों में खींचे 
खुद को जला कर शहादत की आदत मिटा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

ना रोक दिल को धड़कने दे धक धक 
जा मिल झपट कर जिन पर तेरा हक 
जो तेरी राहों में आंखें बिछाए 
जीवन में उनके ना तेरे सिवाय 
खनका कर चूड़ी, लबों को सटा कर
सिमट जा तू बाहों में उनके खता कर 
आ तुझको मोहब्बत मैं करना सिखा दूं 

आ तुझे आज जीना सिखा दूं 
गमों को अपने पीना सिखा दूं 

दशकों की ज़िंदगी


साथी कहीं जो चलते 
हम साथ यूं मचलते 
तू हाथ थामे मेरा 
हर घाट पर टहलते 

लोगों ने है टटोला 
हरदम मुझे है तौला 
बस तू अभी मिली है 
खुशियां अभी खिली है 
मुरझा न जाये जल्दी 
दुनिया डर से हिली है 

चाहे न मिल सकी तू 
किसी काम की वजह से 
पर दिल मेरा डराता 
वो ख़याल बेवजह से 
फिर बार बार आते 
हर बार वो डराते 

चल आज हम भी जी लें 
हर ज़ाम संग पी लें 
क्यों हम हीं सबकी सोचें 
और आँख अपनी भींचें 
देखा नहीं है कल को 
चल आज को हम सींचें 

सब दोस्त वो पुराने 
रिश्ते हों या घराने 
सवाल उनके हरदम 
उठते हीं हैं डराने 
पर झेल जाएँ हम सब 
जो गाये संग तराने 

दशकों की ज़िन्दगी में 
पीना नहीं हुआ है 
दूजों के दर्द सहते 
जीना नहीं हुआ है
जीया बहोत है मर कर 
दूजों की डोर भींचे  
जीना मुझे बस अब है 
जिस ओर दिल ये खींचे

Thursday, December 9, 2021

मुझे प्यार कर

ना समझ सका 

ना कह सका 

वो कह गईं 

जो कहना था 

जो था नहीं 

तो गम है क्यों 

मैं हूं यहां 

पर गुम हूं क्यों 

यहीं कहीं 

पे दिल मेरा 

चुरा लिया 

दिया नहीं 

कहा मुझे 

मैं तेरी हूं 

लिपट गई 

वो सीने से 

सिमट गई 

वो सांसों में 

यूं बंध गया 

मैं जान कर 

क्यूं रुंध गया 

गला मेरा 

जो वो गई 

यूं छोड़ कर 

भला बुरा 

सब बोल कर 

ना दिल धड़क 

रहा मेरा 

पर दिल तड़प 

रहा है क्यों 

क्यों ढूंढते 

नयन मेरे 

उन्हें अभी 

भी भीड़ में 

वो काश यूं हीं 

फिर हसाए 

या दिल करे 

तो फिर रुलाए 

या मुंह फुलाए 

रूठ जाए 

मैं मनाऊं 

फिर उसे 

लिपट के मुझसे 

फुस फुसाए 

कानों में 

कोई प्यारी बात 

बोल कर 

मुझे चिढ़ाए 

में चिढ़ जो जाऊं 

आंखों से 

वो आशिकी 

दम भर सिखाए 

हाय, रूक जा तू 

ना जा कहीं 

मेरे पास रह 

मेरी जिंदगी 

जी लूं तुझे 

हर सांस में 

पी लूं तुझे 

फिर भी यूं ही 

प्यासा रहूं 

तेरी आस में 

ना देर कर 

आ जा अभी 

मुझमें सिमट 

मुझसे लिपट 

लब को तेरे 

लब से चिपट 

हम इक बदन 

हो कर रहें 

इक दूसरे में 

खो कर रहें 

बस प्यार कर 

मुझे प्यार कर 

दीदार दे

दिलदार कर 

मुझे प्यार कर ।

Wednesday, December 8, 2021

दिल के तार

कभी झनक झनक, 

कभी खनक खनक 

कभी हँस कर 

आंखें मटक मटक 

कभी गुस्सा बातों बातों में 

कभी होठों पे मन का गुबार 

कभी सीने से वो लिपट लिपट 

कभी पकड़ो हाथ तो झिटक झिटक 

कभी बातें होती सिसक सिसक 

कभी सोती मेरे कंधे पर 

कभी जाती फिर वो खिसक खिसक 

कभी पुचकारे वो हिलस हिलस 

कभी झट पट, खट खट खड़काती 

कभी सिरहाने वो सरकाती 

कभी प्यार से कानों में कुहु कुहु 

कभी सीने में भर अंगारे 

भड़के और भरती हुंकारें 

कभी लबों को मेरे लब से सिल 

कभी हिरणी बन चंचल चंचल 

मनचली वो करती मनमानी 

कभी मिलती कर सोलह श्रृंगार 

कभी सामाजिक बंधन को पार 

जब करती वो ये सब कुछ तो 

समझो जुड़ गए हैं दिल के तार 

समझो जुड़ गए हैं दिल के तार 

समझो जुड़ गए हैं दिल के तार