Friday, November 26, 2021

आ गले लग जा

काश लिपटी रहे तू हमेशा यूं ही 

और हम भी सिरहाने में सोए रहें 

सांसें तेरी मेरी साथ यूं हीं मिले 

जिंदगी की रवानी में बहते रहें 

कभी मैं जो करूं तुझसे गुस्ताखियां 

तू नाराजगी यूं हीं जताया करे 

फिर मुझे माफ कर मेरे सीने से लग 

मोहब्बत के धुन गुनगुनाया करे 

जब तेरा मन करे मुझको तू याद कर 

हम अकेले में वक्त गुजारा करें 

नर्म आहें तेरी गर्म सांसें मेरी 

यूं ही मिलकर जवानी बिताया करें 

छोड़ कर दुनिया की सारी दस्तूर तू

बस यूं हीं मुझमें समाया करे 

या खुदा तेरी नीयत का अंदाज तो 

तेरी आंखें बयां यूं हीं करती रहें 

काश लिपटी रहे तू हमेशा यूं ही 

और हम भी सिरहाने में सोए रहें 

Thursday, November 25, 2021

The Game of Love

Those who have witnessed will never doubt

Those who doubt must shout aloud

They will be silenced after they witness

It's a game of care, courage and fitness


Those who are fit, take the mental challenge

Those who challenge, make themselves cringe

They will be awed at rigour, love and strength

That the players possess in the love game at length


Those who get scared must kiss the game goodbye

Those who say goodbyes will miss the fun and cry

They will be hurt, ashamed and may have the fire within

Fire of love may burn, prepare to go in glory or in a coffin.

Wednesday, November 24, 2021

चाहत

ओस की बुंदों को मैं 

पानी समझ गहरा था 

जिस दिल से प्यास सदियों कि बुझती 

उस पर तेरा पहरा था 


पहरा हटा कर देख जानम 

दुनिया बड़ी रंगीन है 

दिल चुरा कर तोड़ने का 

जुर्म पर संगीन है 


जुर्म ऐसे हम न करते 

दिल की देखी झांकियां

कर लो यकीं कि हम भी समझें

इश्क की बारीकियां 


इश्क की बारीकियों को 

समझे कोई सदियों तलक में 

हम वो आशिक हैं जो 

करते परख बस इक झलक में 


इक झलक अब आप की

गर हुस्न की ओ मल्लिका 

देख लें नज़रों से अपनी 

तो छोड़ दें अट्टालिका 


छोड़ दूं दुनिया को पीछे 

हम अगर मिलते रहें 

जिस्म हो या चाहतों के 

फूल यूं खिलते रहें ।

Tuesday, November 23, 2021

खुशनुमा

खुशनुमा मौसम है, कहीं दिल खो गया है 

संभालो यारा मुझको, मैने कुछ तो पी लिया है 

होंठ गुलाबी से तेरे, मुझसे मिल गए जब
धड़कनें धड़कती रहती, बस में ये नहीं अब 

सीने से, तेरे लगते तन में, बिजली दौड़ती हैं 
आग जो लगी है वो, बुझाए ना बुझती है 

क्या किया है जानेमन, ये मुझको तू बता दे 
दिल चुरा ना मेरा कोई, और ही सजा दे 

गर चुराया दिल को मेरे, पास अपने रखना 
बातें ऐसी वैसी करके, मुझको ना परखना 

हफ्ता मिले हुए अभी, साल दशक बाकी 
सैर चांद की कराई, तुमने मुझे साकी 

बंधनों को तोड़ देना, रिश्ते हों या नाते 
किस्मतों के खेल में हम, काश तेरे हो पाते 

यार मेरे मिलते रहना, आज जैसे यूं हीं
माफ करना गलतियों को, बड़ी हो कितनी क्यूं हीं।

Monday, November 22, 2021

मशरूफ

 इस बेजुबान दिल पे रहम कीजे

होंठ जो अर्ज नहीं कर पा रहे 

वो बिन कहे भी समझ लीजे 


ये हमारी गुजारिश है जरा सुन लीजे 

दीदार ए महबूबा हो ऐसी ख्वाहिश 

है परवाने की, कभी रहम कीजे 


नज़रों को जरा और पास आने दीजे

होठों को तकल्लुफ क्यों देना 

सांसों से ही अर्ज किया कीजे 


हर शाम हम पे दीदार की इनायत कीजे

दिल कह रहा है आप मशरूफ कहीं हों तो 

हमें अपने पास हाजिरी को बुलाया कीजे ।

नज़र - ए - इनायत

कह दो ज़माने से दीवाने हुए हम 

परवाने जलते थे कभी हम नहीं हैं कम |

सूरज निकलने से पहले दस्तक कई बार

खटखटाये दिल कि धड़कन और उनके द्वार |


मोहब्बत न कर बैठें ये डर उन्हें सताता 

कोई उन्हें बताये हमें और कुछ न आता |

ये दिल की आग है जो बुझाये ना बुझे 

लपटों में ज़िंदगी है कुछ सुझाये ना सूझे |


वक़ालत करें वो जम के डरती नहीं किसी से 

अदालत हों शहर वाले या इश्क़ आशिकी के |

फ़िदा हैं उनपे हम भी बस इक नज़र कि प्यास है 

होगी इनायत जल्दी यह जिगर को आस है |

Sunday, November 21, 2021

इश्क

लब उनके जब मेरे लबों से सिल गए 

रंगीनियों में हम दोनो मिल गए 
मुखरा उनका सुर्ख हो गया
गुस्ताखियों में फिर मैं खो गया 

हाथ उनके मेरे कंधों पर 
मेरे उनके कमरबंद हो गए 
सीने से जब वो लग जाती हैं 
सासें उनकी चढ़ जाती हैं 

आंखों में उनके शैतानियां 
मुझमें बिजली दौड़ाती हैं 
मैं उनसे लिपट जाता हूं 
जिस्म दोनो सिमट जाते हैं 

घंटों वो हमसे लिपटी हुई
और मैं उनसे लिपटा हुआ 
चीखें धीरे से मुस्कान में 
मेरे कानो में कह जाती हैं 

धीरे धीरे से करते रहो 
तेज रफ्तार कभी बीच में 
होता तो जिस्म कस जाते हैं 
इश्क यूं हीं होता सनम
दो बदन में दिल फस जाते हैं 

Saturday, November 20, 2021

जवानी

छोटी छोटी ख्वाहिशें, 

छोटे हैं सपने 

देख देख दिल खुश होता, 

जब भी मिलते अपने 


अलस सुबह की, चाय भगाती 

लिपटे तुम, मेरे तन मन में 

कैसे भगाऊं मोरी राधा 

तेरी प्यास की अगन, कण कण में 


वक्त मिले, होठों को अपने 

मेरे होठों पर रख देना 

प्यास लबों की बुझ ना पाए 

धड़कन भी फिर तुम सुन लेना 


मिलने दो अपने तन को मेरे तन से

सिहरन को बस चलने दो 

जो तुफां है वो मचल रही 

ना रोको उन्हें मचलने दो 


बस दिन हैं चार जवानी के 

फिर सोचें क्यूं, क्या सही गलत 

जो दिल आए, वो कर डालें 

दिन रात तू बस अब आ के लिपट ।

Friday, November 19, 2021

प्रेरणा

मैं, कौन हूं, क्यूं हूं, और कहां हूं

पूछूं, यही, इन फिज़ा, और हवा से

क्यूं, दिख रहा, ये शमा, गुलिस्तां सा

दिल, ये बता, तू मिला, है क्या उनसे


यूं, लग रहा, क्यूं मुझे, उनसे मिलकर

जैसे कोई, जाना जाना, सा हो

लेकिन कोई, बिलकुल ही, नया सा

धड़कन मेरी, बातें सुनती नहीं


आंखों में, उनके, मैं देखूं शरारत

हंसती वो, ऐसे कि, करना बयां

मुश्किल नहीं, मुमकिन हीं, नहीं हो

दिल अब बता, क्या करूं, इस खता का


वो हमसे, मिलकर, गले से लगाएं

या फिर, मुझे चूमें, मुस्कराएं

हर इक, पल, जिंदगी, कि ये मेरी

धड़कें, या फिर, धड़कने, सो जाएं 


खुशियों, से, हम, भर जाएं 

और बातें, कर, जाएं,

उनकी, बातें, सुनने, जाएं 

पर, अपनी, कह, जाएं 


जब, तक, साथ, रहें, वो, हम 

बस, इतना, दिल, चाहें 

हम, उनके, और, वो, मेरे 

हो, कर, रह, जाएं 

Thursday, November 18, 2021

श्रद्धांजलि

 श्रद्धांजलि

माता को श्रद्धांजलि

देती उनकी कोख

बैठी स्वर्ग से देखती

देव सके ना रोक।


तृप्त है उनकी आत्मा

बच्चे अपने देख

पूरी हो गई ख्वाहिशें

थे जो एक अनेक।


रखना अपने पिता को

देख रेख में बेटी

आशीर्वाद रहेगा मेरा

ऐसा वचन में देती।


रिश्तों को कर दे माफ तू

रिश्ते होते हैं अटूट

अनदेखी कर गलतियां

जब बोलें भी वो झूठ।


दिल तेरा है सागर सा

माता को है ज्ञान

आसूं में बह जाने दे

मन में जो हो मलान।