Thursday, January 30, 2020

ज़िन्दगी के उस पार

हर सुबह की दौर
रास्ते के मोड़
ले चले बस
मौत की ओर।

ख़ून का रंग
सोच का ढंग
ना बदले, बदलता है बस
अपनों का संग।

नींद में ख्वाब
जागते में रुआब
बदल गए दोनों बस
मौत का दवाब।

ज़िन्दगी की खुशबू
ज़िंदा है अब भी
मौत के सामने हंसती है जब भी
दिल में सुकून
आँखों में ख्वाब
आते हैं अब भी
पर क्या पता की कल हो
न हो, तुम हमें याद
आते थे तब भी
आते हो अब भी।

दिल में किस्से हैं
बहोत से
जो तुम्हें सुनाने थे
रह गए कहीं
खो कर हम
और तुम भी
जाने ज़िन्दगी हममें रहेगी
या मैं मौत की आहोश में
कशिश दोनों ही सूरतों में
ज़िंदा रहेगी मेरे
और सच के साथ
जो कभी दफ़्न न होती
दोस्ती जो उनसे हो
ज़िन्दगी के इस पार
या उस पार भी।