ना समझ सका
ना कह सका
वो कह गईं
जो कहना था
जो था नहीं
तो गम है क्यों
मैं हूं यहां
पर गुम हूं क्यों
यहीं कहीं
पे दिल मेरा
चुरा लिया
दिया नहीं
कहा मुझे
मैं तेरी हूं
लिपट गई
वो सीने से
सिमट गई
वो सांसों में
यूं बंध गया
मैं जान कर
क्यूं रुंध गया
गला मेरा
जो वो गई
यूं छोड़ कर
भला बुरा
सब बोल कर
ना दिल धड़क
रहा मेरा
पर दिल तड़प
रहा है क्यों
क्यों ढूंढते
नयन मेरे
उन्हें अभी
भी भीड़ में
वो काश यूं हीं
फिर हसाए
या दिल करे
तो फिर रुलाए
या मुंह फुलाए
रूठ जाए
मैं मनाऊं
फिर उसे
लिपट के मुझसे
फुस फुसाए
कानों में
कोई प्यारी बात
बोल कर
मुझे चिढ़ाए
में चिढ़ जो जाऊं
आंखों से
वो आशिकी
दम भर सिखाए
हाय, रूक जा तू
ना जा कहीं
मेरे पास रह
मेरी जिंदगी
जी लूं तुझे
हर सांस में
पी लूं तुझे
फिर भी यूं ही
प्यासा रहूं
तेरी आस में
ना देर कर
आ जा अभी
मुझमें सिमट
मुझसे लिपट
लब को तेरे
लब से चिपट
हम इक बदन
हो कर रहें
इक दूसरे में
खो कर रहें
बस प्यार कर
मुझे प्यार कर
दीदार दे
दिलदार कर
मुझे प्यार कर ।