कभी हो हल्ला कभी झल्लाकर
कभी प्यार भरी मीठी बातें
कभी मन ही मन फिर मुस्काकर
जब होती छुप छुप मुलाकातें
कभी डर कर या कभी घबराकर
मिलने की चाहत आहत कर
बेमन से कभी मना करके
दिल की गुन धुन सुना पड़ते
कहते बातें तुम किया करो
पर वक्त जरा कम किया करो
मिलने के बहुत बहाने ना
तुम सोचो ना हीं बुना करो
हम मिलेंगे जब मिलना होगा
जो लिखा है तकदीरों में
ना बदले वो तस्वीरों में
फिर जुदा तुम्हें करना होगा
जीवन की सारी बाधाएं
ना बन जाएं कहीं गाथाएं
तू रहने अकेला दे मुझको
तेरी ज़िद से ना बदलूं खुदको
ना वक्त तू जाया कर अपना
तुझसे जुड़ा ना कोई सपना
देखेंगे कब तक मिलते हैं
तेरी बातों से हम खिलते हैं
अब विदा मैं तुझको करती हूं
कहने से कुछ भी डरती हूं
मैं भूल चुकी हूं अब तुझको
तू भी बढ़ आगे भुला मुझको