Monday, December 13, 2021

भुला दे मुझको


कभी हो हल्ला कभी झल्लाकर 
कभी प्यार भरी मीठी बातें 
कभी मन ही मन फिर मुस्काकर 
जब होती छुप छुप मुलाकातें 

कभी डर कर या कभी घबराकर 
मिलने की चाहत आहत कर 
बेमन से कभी मना करके 
दिल की गुन धुन सुना पड़ते 

कहते बातें तुम किया करो 
पर वक्त जरा कम किया करो 
मिलने के बहुत बहाने ना 
तुम सोचो ना हीं बुना करो 

हम मिलेंगे जब मिलना होगा 
जो लिखा है तकदीरों में 
ना बदले वो तस्वीरों में 
फिर जुदा तुम्हें करना होगा 

जीवन की सारी बाधाएं 
ना बन जाएं कहीं गाथाएं 
तू रहने अकेला दे मुझको 
तेरी ज़िद से ना बदलूं खुदको 

ना वक्त तू जाया कर अपना 
तुझसे जुड़ा ना कोई सपना 
देखेंगे कब तक मिलते हैं 
तेरी बातों से हम खिलते हैं 

अब विदा मैं तुझको करती हूं 
कहने से कुछ भी डरती हूं 
मैं भूल चुकी हूं अब तुझको 
तू भी बढ़ आगे भुला मुझको