दिल मेरा काला, खून भी काली
सोच हैं मन के काले
रहा अकेला दिल बेचारा, खुद पर मारे ताले
विचार काले, दृष्टि काली
कथनी भी है काली
जीवन भर अच्छाई की पर, कालिख ना धुल पायी
तन से काला, मन से काला
दोस्त ये तेरे जानें
हिम्मत कर जो पास फटकना, सुनना सारे तानें
किशन भी तो काला ही था ना
थी काली करतूतें
ऐसी सोच ये रखता है सौ परते हरदम जूते
संग संगिनी, रंग रंगीनी
छूटी सारी खुशियां
खुशी ये काला, मन फिर ढूंढे, दूजों के तन मन में
सीख सीख ले, डोर थाम ले
अपनी सोच को रख तू
काबू में फिर काला मन ये, लगे निराला जग में
कर प्रण, तर्पण
भ्रमित चाहतें, आंखों को कर बंद
रहा अकेला, रह जा अकेला, रहेगा तू बुलंद