Sunday, October 20, 2019

बादल के प्यार की सच्चाई

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है
बिन मौसम इस बारिश में
कुछ तो होने वाली है।

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है

इंतज़ार में तेरे ये 
दिल का समंदर खाली है 
आसमान की टिप टिप से ही 
क्या ये भरने वाली है ?

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है 

प्यासी धरती की आहों को 
सुनकर ये बादल आये हैं 
बारिश की बूंदों से आज 
धरती की प्यास बुझाई है। 

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है 

ओ बादल अब तू ही बता 
तेरे प्यार में क्या सच्चाई है ?
आज प्यार में बरस रहा पर 
हवा के संग सगाई है। 

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है 



Saturday, October 19, 2019

अनजान

तेरी खुशबू मेरी सांसों में,
होनी थी पर यादों में है
तू मेरे पास होनी थी
पर ख्वाबों में है

बात तुझसे ही करनी थी
पर थी खामोशी
दोनों चुप चाप चले सड़कों
पर जैसे परदेशी

वक़्त को टाल दूं जो तेरा साथ
हमें मिल जाए
तेरे ख्वाबों को बना लूं अपना
जो तेरा दिल चाहे

ग़म थे सारे जो ज़माने के वो
हमने ले ली
ज़िन्दगी साथ तेरे जीनी थी
पर मौत मिली।

फिर से ज़िंदा तेरे मैं साथ
में होना चाहूं
दिल की धड़कन मैं मेरी
तुझमें खोना चाहूं।

झांक कर देखा अभी तुम बस यहीं थे


झांक कर देखा अभी तुम बस यहीं थे।
चार दिन का था भरोसा सब सही थे?
चाहतों की बात क्या सच थी नहीं थी?
ज़िन्दगी का साथ भी सच है नहीं है?
सच छुपा रहता हमेशा, क्या हमेशा?
जो ना कहता सच वो सारा, क्या सही था?
चाहतों की बात कहना क्या सही था?
ज़िंदादिल है, मौत का सच, सच नहीं था?
मेरे सच में शक तुम्हारा या यकीं है?
दोस्ती में शक का साया क्या सही है?
चार सच मेरा तुम्हारा मैं कहीं था, तुम कहीं थे!