पलकें ना झुकाएं मोहतरमा
कहीं रात अँधेरी हो जाए ना
जुल्फों को ना अपने सुलझाओ
कहीं बात अधूरी रह जाए ना
यूं बातों पर मेरे हसना मत
कहीं और मुलाकात दिल चाहे ना
हाथों से ना जुल्फें छूना तुम
कहीं दीवानें सब बन जाए ना
गालों की लाली छुपा लो तुम
कहीं चाँद अभी शरमा जाए ना
होठों को ना अपने हिलाएं आप
कहीं दिल की धड़कन रुक जाए ना
जाने की बात ना छेड़ा करो
कहीं दुनिया मेरी ढह जाए ना
पलकें ना झुकाएं मोहतरमा
कहीं इज़हार - ए - इश्क़ हम कर जाए ना