Saturday, October 23, 2021

दिल की धड़कनें 

रात अभी बाकी थी , सुबह को थामे, 

चाँद अभी ठहरा था, ठहरी थी शामें, 

ओस की बूंदें थीं, घासों के लब पर,

हमसे अलग हैं वो, हमको तलब कर | 


कुछ तो था कहना, ऐसा है कहता 

दिल मेरा, उनकी पनाहों में रहता,

पलकें उठाती, तो चलते थे खंजर

यूं मानो, हज़ारों ने छेदा हो पंजर।


न कह पाया अपनी कहानी ज़ुबां से, 

फ़साने पुराने, या किस्से नवा से,

दिल की धड़कनें, धड़कती रहीं हैं,

शोलों की तरह भड़कती रहीं हैं। 


हमारी कहानी कोई जी रहा है , 

मेरा अच्छा होना, मुझे पी रहा है,

वो खुश हैं, किसी और की ज़िन्दगी में,

रूह मेरी, बहानों में यूं घुल रहा है।