Saturday, December 11, 2021

कसम खा ना रोएगा मेरी मोहब्बत को तोल कर


मोहब्बत ऐसी है मेरी जो कागज में ना समाय
अंदाज-ए-मोहब्बत जो लफ्जों में ना कहा जाय 

मेहबूब कहना माने नहीं शायरी हर रोज सुनाए 
कैसे समझाऊं मैं कसमकस, जिया जले पर कहा नही जाय 

एतबार उन पर है इकरार कर नहीं सकते 
मोहब्बत उनसे है इनकार कर नहीं सकते 
चाहने वाले भरे हर तरफ, तकरार कर नहीं सकते 
या खुदा करूं तो क्या करूं बेवफाई कर नहीं सकते 

ले सुन ले ओ सनम मेरी बातें मेरी जुबां से करती हूं बयां 
तड़पती हूं याद आती हैं मुलाकातें जब जलती है शम्मा 
शमां कोई भी हो बस यूं समझ ले अब तू इक बार कहूंगी 
नहीं आ सकती मिलने तुझसे हर बार ये इकरार करूंगी 

मुझे फिक्र है तेरी क्यूं सोचता इतना मेरी तारीफों में 
कभी जिक्र मेरी आंखों का या मुलाकात भरी तारीखों में 
गर मैं चली जाऊं तेरी जिंदगी से मुकद्दर में तेरी नहीं बोल कर
पहले खुश था मेरे आने से, जाने से टूटेगा दिल तेरा खोल कर
बता दे मुझको ए दिल के आशिक
कसम खा ना रोएगा मेरी मोहब्बत को तोल कर