Saturday, December 18, 2021

पलकें ना झुकाएं मोहतरमा


पलकें ना झुकाएं मोहतरमा 
कहीं रात अँधेरी हो जाए ना 

जुल्फों को ना अपने सुलझाओ 
कहीं बात अधूरी रह जाए ना 

यूं बातों पर मेरे हसना मत 
कहीं और मुलाकात दिल चाहे ना 

हाथों से ना जुल्फें छूना तुम 
कहीं  दीवानें सब बन जाए ना 

गालों की लाली छुपा लो तुम 
कहीं चाँद अभी शरमा जाए ना 

होठों को ना अपने हिलाएं आप 
कहीं दिल की धड़कन रुक जाए ना 

जाने की बात ना छेड़ा करो 
कहीं दुनिया मेरी ढह जाए ना 

पलकें ना झुकाएं मोहतरमा 
कहीं इज़हार - ए - इश्क़ हम कर जाए ना