Tuesday, December 14, 2021

राधा संग काहे जिद करे कान्हा


कृष्ण कन्हैया मोरा पीछा करो है 
बूझे नाहीं मोहे काम बड़ो है 
गैय्यन के पाछे बंशी बजाये 
आवाज़ उसकी मोरे मन को लुभाये

कैसे कैसे कान्हा बहाने बनाये 
मिलनो को मोहे वो उकसाये 
आँगन मोहे मोरे भानु चढ़ो है 
किसन को ज़िद हर रोज बढ़ो है 

राधा को नाहीं चाहत कान्हा 
यो मोरा मन मो से बात कहो है 
घर आँगन को काम करूँ या 
किसन को जाऊं यो दुविधा भयो है 

मन मोरा कपटी बोले जा तू राधा 
कान्हा तोहे बिन हो जावे आधा 
राधा सखि बन जबहुँ वो खेले 
कृष्ण कन्हैया बांधे रास के मेले 

हाय रे कान्हा मोरा हृदय नाहीं मानत 
जा रणछोर तू काहे मन भावत 
मोहे करन दे मोरे काम वो सारे 
देखन नाहीं आऊं तोहे यशोदा दुलारे 

किसन कन्हाई हर युग में होवे 
राधा संग वो प्रेम में शोभे 
मिळत कबहुँ नाहीं प्रेम प्रसंगा 
कान्हो को हृदय में राधा गंगा