Saturday, December 11, 2021

दशकों की ज़िंदगी


साथी कहीं जो चलते 
हम साथ यूं मचलते 
तू हाथ थामे मेरा 
हर घाट पर टहलते 

लोगों ने है टटोला 
हरदम मुझे है तौला 
बस तू अभी मिली है 
खुशियां अभी खिली है 
मुरझा न जाये जल्दी 
दुनिया डर से हिली है 

चाहे न मिल सकी तू 
किसी काम की वजह से 
पर दिल मेरा डराता 
वो ख़याल बेवजह से 
फिर बार बार आते 
हर बार वो डराते 

चल आज हम भी जी लें 
हर ज़ाम संग पी लें 
क्यों हम हीं सबकी सोचें 
और आँख अपनी भींचें 
देखा नहीं है कल को 
चल आज को हम सींचें 

सब दोस्त वो पुराने 
रिश्ते हों या घराने 
सवाल उनके हरदम 
उठते हीं हैं डराने 
पर झेल जाएँ हम सब 
जो गाये संग तराने 

दशकों की ज़िन्दगी में 
पीना नहीं हुआ है 
दूजों के दर्द सहते 
जीना नहीं हुआ है
जीया बहोत है मर कर 
दूजों की डोर भींचे  
जीना मुझे बस अब है 
जिस ओर दिल ये खींचे