Wednesday, April 24, 2019

इश्कबाजी

उल्फतों के दौर में हम तनहा हैं
और वो कहीं भीड़ में खोये हुए से

हम हैं जिन्हे रातों को नींद नहीं आती
और वो सपनो की दुनिया में सोये हुए से

हम उनके इक दीदार को तरसे हुए हैं
और वो अपने अश्कों में दीपक संजोये हुए से

इश्कबाजी की ज़ुर्रत कितना भी कर लें
पर वो अपनी धुन में हीं उलझे हुए से