दिल के कुछ अल्फ़ाज़ उन्होंने यूं कह दिए
धड़कनें तेज़ हुईं और मेरे लब सिल गए
मन में आंधी थी गज़ब का तूफां था
पलकें गिरकर सम्भलती थी बस ये समां था
बुत हो गयीं थीं वो करीब आने से
पिघल कर मोम हुईं मेरे छुए जाने से
थिरकते होठों ने जो कहानी थी की बयां
जो अलफ़ाज़ कह न पाए कह रही थी खामोशियाँ