Wednesday, April 10, 2019

खामोशियाँ

दिल के कुछ अल्फ़ाज़ उन्होंने यूं कह दिए 
धड़कनें तेज़ हुईं और मेरे लब सिल गए 

मन में आंधी थी गज़ब का तूफां था 
पलकें गिरकर सम्भलती थी बस ये समां था 

बुत हो गयीं थीं वो करीब आने से 
पिघल कर मोम हुईं मेरे छुए जाने से 

थिरकते होठों ने जो कहानी थी की बयां
जो अलफ़ाज़ कह न पाए कह रही थी खामोशियाँ