Wednesday, April 24, 2019

मिलके बिछड़े हुए दोस्त

राहे मोहब्बत पर चलते रहे हम
उनकी थी अब बारी
आँखों में देखा हाथों को थामा
बातें भी कर ली सारी

समझे नहीं वो कैसे समझाउं
आती नहीं दुनियादारी
घर पे ले आये माँ को बिठाये
चली यादों की रेलगाड़ी

किस्से पुराने जो मैंने संजोये
इतनी जो की थी तैयारी
बोला नहीं मैं समझे नहीं वो
पर क्या हुआ है तो यारी

मिलना जो होगा मिलते रहेंगे
दिल हल्का हो या हो भारी
यारों की यारी अपनी जगह है
मुस्कानों की कर लो सवारी