Friday, November 26, 2021

आ गले लग जा

काश लिपटी रहे तू हमेशा यूं ही 

और हम भी सिरहाने में सोए रहें 

सांसें तेरी मेरी साथ यूं हीं मिले 

जिंदगी की रवानी में बहते रहें 

कभी मैं जो करूं तुझसे गुस्ताखियां 

तू नाराजगी यूं हीं जताया करे 

फिर मुझे माफ कर मेरे सीने से लग 

मोहब्बत के धुन गुनगुनाया करे 

जब तेरा मन करे मुझको तू याद कर 

हम अकेले में वक्त गुजारा करें 

नर्म आहें तेरी गर्म सांसें मेरी 

यूं ही मिलकर जवानी बिताया करें 

छोड़ कर दुनिया की सारी दस्तूर तू

बस यूं हीं मुझमें समाया करे 

या खुदा तेरी नीयत का अंदाज तो 

तेरी आंखें बयां यूं हीं करती रहें 

काश लिपटी रहे तू हमेशा यूं ही 

और हम भी सिरहाने में सोए रहें