Tuesday, November 23, 2021

खुशनुमा

खुशनुमा मौसम है, कहीं दिल खो गया है 

संभालो यारा मुझको, मैने कुछ तो पी लिया है 

होंठ गुलाबी से तेरे, मुझसे मिल गए जब
धड़कनें धड़कती रहती, बस में ये नहीं अब 

सीने से, तेरे लगते तन में, बिजली दौड़ती हैं 
आग जो लगी है वो, बुझाए ना बुझती है 

क्या किया है जानेमन, ये मुझको तू बता दे 
दिल चुरा ना मेरा कोई, और ही सजा दे 

गर चुराया दिल को मेरे, पास अपने रखना 
बातें ऐसी वैसी करके, मुझको ना परखना 

हफ्ता मिले हुए अभी, साल दशक बाकी 
सैर चांद की कराई, तुमने मुझे साकी 

बंधनों को तोड़ देना, रिश्ते हों या नाते 
किस्मतों के खेल में हम, काश तेरे हो पाते 

यार मेरे मिलते रहना, आज जैसे यूं हीं
माफ करना गलतियों को, बड़ी हो कितनी क्यूं हीं।