Sunday, November 21, 2021

इश्क

लब उनके जब मेरे लबों से सिल गए 

रंगीनियों में हम दोनो मिल गए 
मुखरा उनका सुर्ख हो गया
गुस्ताखियों में फिर मैं खो गया 

हाथ उनके मेरे कंधों पर 
मेरे उनके कमरबंद हो गए 
सीने से जब वो लग जाती हैं 
सासें उनकी चढ़ जाती हैं 

आंखों में उनके शैतानियां 
मुझमें बिजली दौड़ाती हैं 
मैं उनसे लिपट जाता हूं 
जिस्म दोनो सिमट जाते हैं 

घंटों वो हमसे लिपटी हुई
और मैं उनसे लिपटा हुआ 
चीखें धीरे से मुस्कान में 
मेरे कानो में कह जाती हैं 

धीरे धीरे से करते रहो 
तेज रफ्तार कभी बीच में 
होता तो जिस्म कस जाते हैं 
इश्क यूं हीं होता सनम
दो बदन में दिल फस जाते हैं