पकाऊ
पक रहे हैं वो
पकाऊ ज़माने से
ज़िन्दगी के मजे लिए
बस पकने के बहाने से
पूछो तो कहते हैं
बस ऐसे हीं कहा था
कमबख्त पकता कौन नहीं
इस बेबाक ज़माने से
शायर खा लिया क्या
ऐसा पूछते हैं लोग
बताऊं उन्हें जब लफ़्ज़ों में
जो हैं शायर के खजानों से
क़िसी की कहानी में क़िस्मत
और क़िसी की क़िस्मत में कहानी है
तेरे जहाज़ से तारे दिखते हैं
हमारे तारों में रवानी है
पक रहे हैं वो
पकाऊ ज़माने से
ज़िन्दगी के मजे लिए
बस पकने के बहाने से
पूछो तो कहते हैं
बस ऐसे हीं कहा था
कमबख्त पकता कौन नहीं
इस बेबाक ज़माने से
शायर खा लिया क्या
ऐसा पूछते हैं लोग
बताऊं उन्हें जब लफ़्ज़ों में
जो हैं शायर के खजानों से
क़िसी की कहानी में क़िस्मत
और क़िसी की क़िस्मत में कहानी है
तेरे जहाज़ से तारे दिखते हैं
हमारे तारों में रवानी है