Sunday, February 23, 2020

बेचैन

क्यों दूर हो जाते हैं लोग पास हो कर भी
क्यों पास रहता है कोई जो दूर चला गया बरसों पहले
क्यों तड़पता है दिल उसके लिए जिसके सीने में दिल ही नहीं
क्यों धड़कनें देती हैं धोखा और धड़कती नहीं उसके लिए जो हमसे मोहब्बत का इकरार करता है
क्यों जिंदगी हसीन नहीं लगती हर रोज
क्यों जिंदगी के इंतज़ार में जीवन गुजर जाता है
क्यों दोस्तों की पुकार अनजान लगने लगती है
क्यों अनजाने बस यूं हीं कभी कभी अपने से लगने लगते हैं
क्यों आसमान कभी बहोत छोटा लगता है
क्यों कब्र कभी जिंदगी से ज्यादा बड़ी लगती है
क्यों हम तुम अकेले होते हैं सबके साथ होते हुए भी
क्यों चेहरे पर मुस्कुराहट होती है अंदर से रोते हुए भी
क्यों हाथ कोई थामे नहीं जब हमारी राहें सच्ची होती हैं
क्यों पैर फिसलते हमारे जब उम्र कच्ची होती है
क्यों नहीं रहे बचपन में हीं यूं हो गए बड़े अचानक से
क्यों लोगों की निगाहों में गिरने का डर रहता है
क्यों दिल की बात जुबां खुद हीं नहीं कहता है
क्यों खून बहने तक रिश्ते टूट जाते हैं
क्यों अपने हीं अपनों का खून भी बहाते हैं
या खुदा किन सवालों में तुमने हमको यहां डाला है
बेचैन सब हैं चारो तरफ बस तेरा ही हवाला है।