Thursday, February 20, 2020

तूफ़ान भरी ज़िन्दगी

तूफ़ान भरी ज़िन्दगी 

अभी अभी एक तूफ़ां आते आते रुक गया
हमने पूछा तो कहा तुझ पर तरस आ गया
जिनकी ज़िन्दगी में आँधियों की तबाही हो
झेला है इस कदर की उनको तूफ़ां की कद्र नहीं

आहिस्ते से बोला बोल तुझे इस बवंडर से बाहर ले चलूँ ?
घबरा कर मैंने कहा हमें आँधियों की आदत है
ख़ुदा की फितरत का मालूम नहीं पर
ज़िन्दगी इबादत है, बवंडरों में घर बना लूँगा
कहीं तुम बदल न जाओ फिर, हम जैसों
का क्या होगा जो आये थे किस्मत से
ठहरे हैं जुर्रत से, लोगों की जिल्लत की
आदत है ठोकर की, पर जाते हैं इज़्ज़त से।