इश्क़ के बोल
हम उन्हें आप कहें या कहें तुम
दिन इसी में निकल गया
दिल की बातें की कम
वो चालीस के और हम साल एक कम या ज्यादा
मन में उनके शंका है इश्क़ रहेगा आधा
रोमियो जूलिएट या मजनू लैला सा इश्क़ तो अब होता नहीं
राधा कृष्ण के मिलने के कम और किस्से बिछड़ने के हैं ज्यादा
चलो छोड़ो उमर को ए दोस्त दिल से मिलो गले
और कानों में मेरे कुछ ऐसा बोलो जो
उस कसक को मीठा कर दे जब तक ये रात ढले।
हम उन्हें आप कहें या कहें तुम
दिन इसी में निकल गया
दिल की बातें की कम
वो चालीस के और हम साल एक कम या ज्यादा
मन में उनके शंका है इश्क़ रहेगा आधा
रोमियो जूलिएट या मजनू लैला सा इश्क़ तो अब होता नहीं
राधा कृष्ण के मिलने के कम और किस्से बिछड़ने के हैं ज्यादा
चलो छोड़ो उमर को ए दोस्त दिल से मिलो गले
और कानों में मेरे कुछ ऐसा बोलो जो
उस कसक को मीठा कर दे जब तक ये रात ढले।