Saturday, February 22, 2020

मेरी मेहबूबा मेरी दोस्त

मेरी मेहबूबा मेरी दोस्त

हम उनके लिए सुबह नाश्ता, दोपहर का खाना और शाम की चाय बनाएं
हम उन्हें दिन भर की अपनी दास्तान सुनाएं
दर्द होने पर उनको अपने सीने से लगाएं
नींद ना आने पर उनके सो जाने तक उनको सहलाएं
चोट लगने पर उनकी सिसकियों को चुप करवाएं
उनके खुश होने पर खुशी से फूले ना समाएं
मिर्च लगने पर उनके लिए खुद की मिठाई खिलाएं
काम बिगड़ जाने पर साथ बैठ कर हाथ बटाएं
उनके मां बाबा से उनके पसंद नापसंद फोन पर लिखवाएं
हर सुबह उनको चुपके से चूम कर प्यार से उठाएं
रंग बिरंगे कपड़े, जूते, गहने, जेवर उनको पहनाएं
उनकी सुंदरता उनको अपनी कविताओं में गा कर सुनाएं
उनके गिरने पर उनको अपना सहारा दें और उठाएं
चाय कॉफी के साथ उनको सनफीस्ट के चिप्स खिलाएं
उनको खुश करने को उनकी हाथों की रेखाएं उनको दिखाएं
उनके हौले से मुस्कुराने भर से अपने दिल में तूफ़ान जगाएं
उनकी छोटी छोटी चुटकुलों पर ठहाके मार कर हसें और हसाएं
किसी दोस्त से अनबन होने पर उनको समझाएं
ना समझने पर उनके दोस्तों को शैतान बनाएं
उनकी आंखों में अपनी अलग दुनिया बसाएं
उनके गुस्से पर अपना सब कुछ हार जाएं
उनके इशारों पर बिना हॉर्न बजाए गाड़ी धीमे चलाएं,
सर्दियों में उनको कम्बल ओढाएं, गर्मियों में चादर हटाएं
उनके चेहरे की बूंदों को ठंडी हवाओं से सुखाएं
होठों पर उनके लिपस्टिक लगाएं, और पैरों में सैंडल
कभी कभी शाम को खाने पर जाएं जहां मेज पर हो कैंडल
प्यार से उनको जब तब गले लगाएं और हाथों पर कीकली चलाएं
ऐसी मेहबूबा मुझसे पूछती हैं कि वो हमसे दोस्ती में हैं
या किसी और को पूछें की मोहब्बत कैसे करवाएं।