आओ सिखाऊँ मैं तुम्हें रक्त की भाषा
इसी रक्त ने इतिहास के लम्हों को तराशा
जब रक्त है बहती, तो है, मचती तबाही
चला रक्त के ही रास्ते हर अमन का राही
कोई रक्त बहाता है अमन की तलाश में
मिले लोग ऐसे भी जो बैठे रक्त -आश में
रक्त के हीं सींच पे है समय की धारा
वो भूप हीं क्या जो न समझे रक्त का पारा
जो रक्त रखे लाल बने वो हीं शहंशाह
ज्यों रक्त हुआ श्वेत मिले न कहीं पनाह
हर वक़्त रक्तशील रहे जो वक़्त का राही
उसे वक़्त बनाता है हरेक रक्त का शाही |