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रामायण के पलटे पेज, देखा मैंने भीष्म का तेज
गीता सारी रगड़ है डाली, कृष्ण कन्हैय्या को दे भेज
दुनिया मेरी हिली हुई है, कुरुक्षेत्र में गड़ी हुई है
मात पितर और सखा कि बातें दिल में मेरे चुभी हुई है
मन कि ग्लानि मारे ठेस, बदल बदल के सारे भेष
हे हरी दीन दयालु मेरे, डालो अपनी मुझ पर खेश