Wednesday, January 20, 2010

Dreams ... (हाय रे सपनें ...)

पलकों के नीचे
चाँद के पीछे
बाँहों में भींचे
पास है वो
आज मेरे
साथ है वो ...

दिल कि धक्-धक्
तेज सांसें
बाँहों कि गर्मी
खास है वो
आज मेरे
साथ है वो ...

होठों में मय है
आँखें शराबी
उलझी लटों में
लिपटी हुई सी
पास है वो
आज मेरे
साथ है वो ...

शर्म-ओ-हया से
सिमटी है लेकिन
सीने से मेरे
लिपटी हुई है
जान मेरी
पास है वो
आज मेरे
साथ है वो ...

सुबहो की ठंढी
हवा मुस्करायें
आँखें न खोलूँ
सपनों में मेरे
पास थी वो
आज मेरे
साथ थी वो ...