मुंबई का वो बद-नसीब टैक्सी वाला जो हर रात उनका इंतज़ार कर रहा होता है ...कि आज वो आयेंगी ...आज जरूर आयेंगी ...और जब वो आती हैं तो स्टेशन से "अँधेरी" जाने को बोल कर दिल की सारी बात छू - मंतर कर देती हैं ...
सुनिए टैक्सी वाले की ज़ुबानी उसी की कहानी ...
मैं मुंबई का टैक्सीवाला ...
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कल रात की है बात
जो न सोचा था मेरे साथ
होगा वही हुई फिर बात
सुन लो सनसनाती रात
थी कल आई मेरे पास
रुक गई मेरी धड़कन साँस
काले बदरों की अठ्ठाश
बढ़ती मेरे दिल की प्यास
फिर अधरों से निकले बोल
टैक्सी वाले "भैया" खोल
सवारी "अंधेरी" की टोल
बदला मन का सब माहौल
जाने कब आयेगी रात
होगी उनसे मुलाक़ात
फिर नयनों से होगी बात
उनके हाथों में हों हाथ
मेरे सपनों की वो नैया
बह न जाए बिन खेवैया
मत कर तू अब ता-ता थैय्या
तपता है "प्रवीण" गवैय्या !
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If you want you can listen to the poem in my voice ...