कॉलेज के दिन ...
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कॉलेज की हर बात मुझे अब याद जो आती है
मन पछताए, दिल को हसाएं, याद वो आती है
शाम को मेरे कमरे में वो दोस्त पुराने थे
जब दिल चाहा झगड़ लिया तब लाख बहाने थे
बात न होती कई दिनों तक, अदनी बातों पे
यार ही लाते खींच तान के होश ठिकाने पे
शाम-ऐ-नज़ारा ऐसा होता मजनू लैला के
मिलते थे सब चौराहे पर, बातें बनाते थे
हम जैसे जो यार शराबी क्या क्या करते थे
पिया मिलन के चौक पे हम तो नाटक करते थे
भूख लगी तो गुल्लक देखें पास परोसी के
दम भर खाना और ये कहना "सैंडी" पे लिख ले
नींद थी आती हर दम भाई नाम को पढ़ते थे
जी भर गाली उनको देते जो पढ़ते सच में थे
याद बड़े वो आज भी आएं हमदर्द पुराने से
मैं हूँ अकेला आज बहोत अब तंग जमाने से
दिन लौटा दे फिर से कोई दिन वो सुहाने थे ...
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If you want you can listen to these lines in my voice ...