Monday, April 27, 2009

Kill The Indian Leaders (नेताओं को मार डालो)

नेताओं को मार डालो
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बेच डाला देश को अब
चाहिए इक क्रांति है
भगत कोई तोड़ डाले
बम से जो ये शांति है

नेताओं को मार डाले
तोड़ डाले सनसनी
देशवाशी हैं तड़पते
खून से है माँ सनी

युवा सारे मर चुके हैं
डर गई हैं युवतीयां
सागरों मैं हैं चमकती
दुश्मनों की कश्तियाँ

ढूंढ लो सब चंद्रशेखर
राजगुरु सुखदेव को
बटुकेश्वर इन्किलाबी
चाहिए इस देश को

खादी को अब फाड़ डालो
लद गए दिन गाँधी के
सौन्डर्स हैं भरे सारे
नाम लिखो गोलीयों पे

यहाँ कोई गाँधी अब
कोई नेहरू न बचा
लोमडी है सांप है वो
खादीयों मैं है छिपा

उठ के सब हुंकार कर दो
मचा दो अब हाहाकार
भाग जायें या मरें फिर
न हो वापस अन्धकार

इनसे छूटें और मनाएं
हर बरस दीपावली
शांति हो और अमन हो
दिल में न हो खलबली
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If you want, you can listen to the poem in my voice ...