मैं हूँ भारतीय युवा
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आज मेरी मृत्यु आई और बोली ऐ मनू
खोल तेरा चिटठा देखूं , तेरी बातें मैं सुनू
मैंने बोला ज़िन्दगी में, कर्म अच्छे हैं किये
मैं बड़ा हूँ, सब हैं छोटे,काम मैंने वो किये
(मृत्यु ने पूछा)
बोल कितने कर्म तेरे, दूसरों के हैं लिए ?
घूँट कितने जहर के हैं दूसरों के सत् पिये ?
(भारतीय युवा ने कहा )
दूसरों के वास्ते हा ! मैं भलाई क्यूँ करूँ
जहर पियें शत्रु मेरे, मैं सदैव आगे बढूँ
(मृत्यु ने पूछा)
बोल कितने झूठ बोले, सच्चा कितना है बता ?
काम कितने झूठ आए अब तो हो तुझको पता ?
(भारतीय युवा ने कहा )
लेखा जोखा झूठ का क्यूँ मैं भला रखने लगा
सत्यवादी हूँ बड़ा मैं, गाँधी मेरे पर-पिता !
(मृत्यु ने पूछा)
धन के पीछे ही रहा तू या गरीबों के लिए
कुछ कभी तूने किया हो बद-नसीबों के लिए?
(भारतीय युवा ने कहा )
धन से ही तो ज़िन्दगी है मैं बड़ा हूँ मेहनती
दूँ कभी जो दूसरों को मेरी संपत्ति घटी
(मृत्यु ने पूछा)
देश तेरा दुर्दशा में बोल क्या तू सोचता
तू जो चाहे देश से हटने लगें काली घटा?
(भारतीय युवा ने कहा )
देश को नेता चलायें, देश की है क्या पड़ी,
देश ने नहीं दिया कुछ भी, गर्त मैं है वो गड़ी
स्वर्ग में आराम से मैं रहूँगा ये है यकीं
बोल कब है जाना मुझको, संग तेरे मैं यहीं
(मृत्यु ने जवाब दिया )
तेरे जैसे नरक जायें, स्वर्ग खाली हैं पड़े
युवा सारे भारतीय हैं नरक मैं हैं जो सड़े
दूसरों के लिए भी जो कुछ कभी तू सोचता
मुर्ख तू है और सारे जिनको ये हो न पता
देश की सोचे जो पहले और सच पे जो चलें
स्वर्ग उनका, राज उनकी, प्यार सबसे जो करें!
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If you want, you can listen to the poem in my voice ...