Tuesday, April 28, 2009

Friendliness of Difficulties (मुश्किलें अब दोस्त हैं)

मुश्किलें अब दोस्त हैं
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मुश्किलों से क्या डरें हम, मुश्किलें अब दोस्त हैं
उम्र गुजरी मुश्किलों मैं, मुश्किल-ऐ-मदहोश हैं

होश पाया मुश्किलों में, और सीखी ज़िन्दगी
अब जिंदगानी क्या बताएँ, मुश्किलों से पूछिये

प्यार खोया और पाया, मुश्किल-ऐ-तहजीब से
इश्क करना हमनें सीखा, मुश्किलों के बीज से

मुश्किलों के हैं रथी हम, आयें मुश्किल बीस अब
हम छीन लें हक़ ज़िन्दगी का, मुश्किलों के बीच से !

मुश्किल-ऐ-प्रवीण हैं हम, आजमा कर देख लें
हो नहीं सकता कभी ये, मुश्किलें हमें तोड़ दें

मुश्किलों का दौर साहब, इन दिनों चहुँ ओर है
मुश्किलों से दोस्ती ही, ज़िन्दगी की डोर है

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If you want, you can listen to this poem in my voice ...