दिल की धड़कनें
रात अभी बाकी थी , सुबह को थामे,
चाँद अभी ठहरा था, ठहरी थी शामें,
ओस की बूंदें थीं, घासों के लब पर,
हमसे अलग हैं वो, हमको तलब कर |
कुछ तो था कहना, ऐसा है कहता
दिल मेरा, उनकी पनाहों में रहता,
पलकें उठाती, तो चलते थे खंजर
यूं मानो, हज़ारों ने छेदा हो पंजर।
न कह पाया अपनी कहानी ज़ुबां से,
फ़साने पुराने, या किस्से नवा से,
दिल की धड़कनें, धड़कती रहीं हैं,
शोलों की तरह भड़कती रहीं हैं।
हमारी कहानी कोई जी रहा है ,
मेरा अच्छा होना, मुझे पी रहा है,
वो खुश हैं, किसी और की ज़िन्दगी में,
रूह मेरी, बहानों में यूं घुल रहा है।