तुम पर रंग डारूं पिया ऐसे, तू मेरा बन जाए
राधा के प्रेम में कान्हा, तब तू सन जाए
मैं हूँ तेरे रंग की प्यासी, कृष्णा देर ना कर
तेरे प्रेम के सागर में से, मांगू चुटकी भर
मुझे अपने संग रंगीले, रंग दे लाल मगर
मुझे छोड़ कन्हैय्या मत जा, फिर तू किसी डगर
मुझ पर रंग डारो बनवारी, मैं तेरी हो जाऊं
तेरे चरणों की मैं दासी, तुझमें खो जाऊं