Friday, January 14, 2022

उम्मीद

ग़मों के बाज़ार में 
सब  ख़ुशी ढूंढ रहे 
या खुदा गमजदा हैं सारे यहां 
बस मरहम ढूंढ रहे 

ख्वाहिशों से जकड़े
सपनों को बुन रहे 
हसीन पल के उम्मीद में 
वो इस पल को खो रहे 

घायल किया उम्मीद ने 
और ज़िंदा भी रख रहे 
लगाया है उम्मीद जिनसे 
वो सबको परख रहे 

जो बिकती यहां पे खुशियाँ 
बाज़ार-ए-सरेआम 
दिल के लुटे फिर लुटते 
जब लगते ख़ुशी के दाम 

जब से लगाई प्रीति 
इस प्रवीण ने 
दिलजलों की सारी रीति 
आग़ाज़ दे रहे।  

Thursday, January 13, 2022

हया

आठ बजे घंटों हुए 
हुई बातें अरसों पहले 
दिल की घंटी बजे टना टन 
होठों से कुछ कह ले 

कितना तड़पाओगे मुझको 
कभी तो मिलने आओ 
रोम रोम को छू लूं तेरे 
सीने से लग जाओ 

अधरों को लगने दो हमसे 
तड़प हैं उनमें ऐसी 
जाने दिल तेरा भी क्या ये 
फिर हया करे ये कैसी ?