Sunday, October 20, 2019

बादल के प्यार की सच्चाई

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है
बिन मौसम इस बारिश में
कुछ तो होने वाली है।

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है

इंतज़ार में तेरे ये 
दिल का समंदर खाली है 
आसमान की टिप टिप से ही 
क्या ये भरने वाली है ?

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है 

प्यासी धरती की आहों को 
सुनकर ये बादल आये हैं 
बारिश की बूंदों से आज 
धरती की प्यास बुझाई है। 

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है 

ओ बादल अब तू ही बता 
तेरे प्यार में क्या सच्चाई है ?
आज प्यार में बरस रहा पर 
हवा के संग सगाई है। 

रात सुहानी काली थी
सुबह भोली भाली है