Tuesday, September 17, 2019

आखर प्रेम है आधे का

आखर प्रेम है आधे का

सन सनन जो हवा चले
और झूम के जो बारिश आए

तो लेना समझ मैं आया था
तेरे दिल में कहीं समाया था

जो आग लगा दे तन मन में
और आश जगा दे कण कण में

वो प्रेम पुजारी चिंगारी
तेरे ना पर हर पल जो भारी

जिसे पल पल तुमने दूर किया
वही चोर ले गया तेरा हिया

अब खुद को तुम ना बंधन में
रखना मन को ना चिंतन में

बस सिमट के बाहों के अंदर
आलिंगन कर और चुम्बन कर

तुम प्रेम भाव को प्रकट करो
प्रेमी को अपने निकट करो

यह देश है कृष्ण ओ राधे का
और आखर प्रेम है आधे का

मन भाव प्यार में तरता है
जो इस डगरी पर चलता है।