आखर प्रेम है आधे का
सन सनन जो हवा चले
और झूम के जो बारिश आए
तो लेना समझ मैं आया था
तेरे दिल में कहीं समाया था
जो आग लगा दे तन मन में
और आश जगा दे कण कण में
वो प्रेम पुजारी चिंगारी
तेरे ना पर हर पल जो भारी
जिसे पल पल तुमने दूर किया
वही चोर ले गया तेरा हिया
अब खुद को तुम ना बंधन में
रखना मन को ना चिंतन में
बस सिमट के बाहों के अंदर
आलिंगन कर और चुम्बन कर
तुम प्रेम भाव को प्रकट करो
प्रेमी को अपने निकट करो
यह देश है कृष्ण ओ राधे का
और आखर प्रेम है आधे का
मन भाव प्यार में तरता है
जो इस डगरी पर चलता है।
सन सनन जो हवा चले
और झूम के जो बारिश आए
तो लेना समझ मैं आया था
तेरे दिल में कहीं समाया था
जो आग लगा दे तन मन में
और आश जगा दे कण कण में
वो प्रेम पुजारी चिंगारी
तेरे ना पर हर पल जो भारी
जिसे पल पल तुमने दूर किया
वही चोर ले गया तेरा हिया
अब खुद को तुम ना बंधन में
रखना मन को ना चिंतन में
बस सिमट के बाहों के अंदर
आलिंगन कर और चुम्बन कर
तुम प्रेम भाव को प्रकट करो
प्रेमी को अपने निकट करो
यह देश है कृष्ण ओ राधे का
और आखर प्रेम है आधे का
मन भाव प्यार में तरता है
जो इस डगरी पर चलता है।