ख्वाहिशों की राख में कहीं कोई आग बाकी है,
कटी हुई बातों में कहीं कोई साख बाकी है,
खामोश गलियारों में कहीं कोई बात बाकी है,
यूं जिंदगी तो बहोत जी मैने, कहीं कोई साथ बाकी है ।
जो बात दिल में हैं, हकीकत में नहीं, कोई ख्वाब बाकी है
तमन्नाएं सभी अधूरी हैं, उनसे कोई इंतखाब बाकी है
हों पूरी सभी हसरतें जिसमें वो तारीख बाकी है
सुनी जितनी भी हों दास्तां, कोई एक और बाकी है