Tuesday, July 15, 2025

कहीं कोई साथ बाकी है

ख्वाहिशों की राख में कहीं कोई आग बाकी है,

कटी हुई बातों में कहीं कोई साख बाकी है,

खामोश गलियारों में कहीं कोई बात बाकी है,

यूं जिंदगी तो बहोत जी मैने, कहीं कोई साथ बाकी है ।


जो बात दिल में हैं, हकीकत में नहीं, कोई ख्वाब बाकी है 

तमन्नाएं सभी अधूरी हैं, उनसे कोई इंतखाब बाकी है 

हों पूरी सभी हसरतें जिसमें वो तारीख बाकी है 

सुनी जितनी भी हों दास्तां, कोई एक और बाकी है