ज़िंदगी छितरा गयी है
चीथरों में गुम गयी
लाल सुर्ख होठों की यादें
धुंधली सी हो गयी
इक बरस है और बीता
बिन तेरे प्रेमी सखा
सर्द रातें दिल को छेदें
ज्यों अमावस की घटा
ज़िंदगी छितरा गयी है
चीथरों में गुम गयी
लाल सुर्ख होठों की यादें
धुंधली सी हो गयी
इक बरस है और बीता
बिन तेरे प्रेमी सखा
सर्द रातें दिल को छेदें
ज्यों अमावस की घटा