Saturday, May 2, 2009

Recalling My Childhood (तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...)

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे
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तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे
धुंधली सी यादें हैं जो हैं संजोये ज़िंदगी

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...

बालपन की हरकतों में खुशियों की थी डोलियाँ
हम बड़े होते गए हैं भर के गम की झोलियाँ...

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...

ममता की आँचल में छिपता डर के मैं अंधेरों से
अब अंधेरे रह गए हैं दिल की राहत के लिए ...

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...

गुद-गुदी आती थी दिल में दोस्तों को सोच कर
मैं कबीले का था राजा, रंक हूँ अब राह पर

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...

गेंद ही थी दिल की धड़कन, गेंद में ही जान थी
ज़िंदगी की गेंद मेरी अब चिढाती है मुझे ...

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...

बातों में थी बाकपन और मन थी मेरी चंचला
भूल कर वो सपने सारे, राह पर हूँ अब खड़ा ...

तस्वीरों में ढूंढता हूँ वो सुनहरे पल मेरे...
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If you want you can listen to this Ghazal in my voice ...